कार्ल मार्क्स ने धर्म के बारे में क्या कहा था?
धर्म हृदयहीन संसार का हृदय है आज के इस पूंजीवादी समाज ने मनुष्य और मनुष्य के बीच नग्न निजीस्वार्थ और ‘नगद पैसे-कौड़ी’ के हृदयशून्य व्यवहार के अलावा कोई संबंध नहीं छोड़ा है। ऐसे हृदयहीन पूंजीवादी… कार्ल मार्क्स ने धर्म के बारे में क्या कहा था?