वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल
जो लोग विश्व परिवर्तन मिशन के प्रणेता, राजनीतिक विचारक और वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल के संस्थापक श्री विश्वात्मा को नहीं जानते, उनको यह बात सुनकर अचंभा लगता है कि क्या एक अजनबी व्यक्ति, जो कभी विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री नहीं रहा; जिसको देश की मीडिया ने कभी प्रचारित नहीं किया, वह प्रधानमंत्री की जगह ले सकता है? इस तरह के श्री विश्वात्मा के बारे में बहुत से प्रश्न लोगों के मन में उठते हैं. वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की जगह लेने की कोशिश कर रहे जितने भी जाने पहचाने चेहरे हैं, उसमें भी चेहरा ऐसा नहीं है जिसको देश की जनता दूध का धुला मानती हो। इसलिए अगर उन चेहरों को 2024 में आगे करके पूरा विपक्ष भाजपा के खिलाफ एकजुट हो जाता है। तो उस चेहरे को देश की जनता निश्चित रूप से खारिज कर देगी।
मुख्य धारा की मीडिया ने श्री विश्वात्मा के कामों को पर्याप्त कवरेज नहीं दिया क्योंकि उन्होंने लगातार 25 वर्ष गरीबों के लिये, देश और मानव जाति के लिए काम किया है। और से सब काम मीडिया की टीआरपी के लिए उपयुक्त नहीं हैं। मीडिया द्वारा श्री विश्वात्मा का बहिष्कार कुछ उसी तरह किया गया है, जैसे लम्बे समय तक डॉ. भीम राव अम्बेडकर जी का किया गया था. मीडिया की इस गलती की सजा पूरे देश को मिले, यह कदापि उचित नहीं है। कम से कम वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल के देश भर के लाखों कार्यकर्ताओं को इस बात में रत्ती भर भी संदेह नहीं है कि श्री विश्वात्मा प्रधानमंत्री पद के लिए सर्वथा उपयुक्त व्यक्ति हैं। काफी विलंब से ही सही गत दिनों यह सच्चाई कुछ मीडिया संस्थानों ने भी स्वीकार किया है।
जिन लोगों ने किसी दवा का सेवन करके कभी उसको परखा नहीं, वह दवा से संकोच और उससे दूरी बना सकते हैं। किंतु जिन लोगों ने जांच-परख लिया है. वह भी संकोच करेगे, तो देश का भारी नुकसान होगा। इसीलिए वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल श्री विश्वात्मा द्वारा भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से हटाने के लिए अभियान चला रही है। देश के विद्वानों, पत्रकारों, समाजसेवियों, किसान और मजदूर नेताओं, उद्योगपतियों और व्यापारियों से अपील है कि वह पूर्वाग्रह से मुक्त होकर श्री विश्वात्मा के बारे में निष्पक्ष अध्ययन करें और उनके व्यक्तित्व का उपयोग भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से हटाने में करें।
वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल को यह बात मंजूर नहीं है कि मोदी के विरोध की रस्म निभा रहे विपक्षी नेताओं में से विपक्ष का चेहरा और 2024 में प्रधानमंत्री का चेहरा कौन होगा, यह केवल 8-10 लोग तय करें। इसलिए वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल का दृढ मत है कि 2024 के आम चुनावों के लिए विपक्ष के नेता का चुनाव और प्रधान मंत्री के चहरे का चुनाव एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा ही किया जाना चाहिए. इस प्रक्रिया में सहयोग देने के लिए वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल तैयार है. भाजपा को सत्ता से हटाने की रणनीति नीचे दी जा रही है. आपसे अपील है कि आप भी पार्टी की इस मुहिम का सहयोगी बने. नीचे दी गयी गठबंधन की लोकतांत्रिक प्रक्रिया से बने संविधान से वोटर्स पार्टी इंटरनेशन को जो भी स्टेटस एंड रोल मिलेगा, उसको स्वीकार करने के लिए पार्टी तैयार है.
नीचे 7 बिन्दुओं में भाजपा को सत्ता से हटाने की रणनीति दी गयी हैं। पढ़ने के लिए सम्बंधित शीर्षक पर क्लिक करें।
इन घटनाओं से यह निष्कर्ष निकलता है कि भ्रष्टाचारी, अपराधी, बलात्कारी, हत्यारे और घोटालेबाज लोगों के लिए भारतीय जनता पार्टी एक शरणार्थी कैंप है। श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा जानबूझकर किए गए राष्ट्र विरोधी और जनविरोधी कृत्यों की सूची बनाया जाए तो पूरी किताब लिखी जा सकती है। श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए उक्त कृत्यों के कारण यह जरूरी है कि 2024 में वह दोबारा प्रधानमंत्री न बनने पाएं। इसके लिए देश की जनता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2024 के चुनावों में हराना चाहिए और प्रधानमंत्री की कमान त्यागी, तपस्वी और अपना पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित करने वाले वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल का संस्थापक और राजनीतिक आर्थिक सुधारों पर दर्जनों पुस्तकों के लेखक श्री विश्वात्मा को प्रधानमंत्री बनाना चाहिए। श्री विश्वात्मा के नाम की सिफारिश इसलिए किया जा हैं क्योंकि प्रधानमंत्री बनने की रेस में अन्य जितने भी नाम हैं, उसमें से कोई भी दूध का धुला नहीं है।
यदि 2024 में श्री नरेंद्र मोदी जी को हटाकर वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल के संस्थापक और नीति निर्देशक श्री विश्वात्मा को प्रधानमंत्री न बनाया गया तो देश के लोगों को कई खतरों से गुजरना पड़ेगा।
2024 का चुनाव देश के अमन चैन को और देश की जनता की रोजी-रोटी को बचाने का आखिरी मौका है। इस बार चूक गए तो चुनाव 2029 में होंगे, इसमे भी शंका है। यदि भाजपा को लगा कि वह 2029 का चुनाव नहीं जीत पाएंगे तो वह हिन्दू राष्ट्र के नाम पर देश का संविधान स्थगित कर सकती है और देश में तानाशाही कायम कर देंगे और चुनाव होने ही नहीं देंगे। धर्म और संकीर्ण राष्ट्रवाद की बातें करने वाले तमाम नेता कई देशों में ऐसा कर चुके हैं। नरेंद्र मोदी जी को हटाने की जिम्मेदारी देश के आम जनता, बुद्धिजीवी, उद्योगपति, व्यापारी, पत्रकार गण, किसान और मजदूर उन नेताओं पर नहीं छोड़ सकते, जो प्रधानमंत्री बनने के रेस में हैं। क्योंकि जो प्रधानमंत्री की रेस में है वह दूध के धुले नहीं हैं। ये लोग सही और गलत तरीके से इतना धन दौलत जमा कर लिए हैं कि वह हमेशा नरेंद्र मोदी की सीबीआई और ईडी से डरे रहते हैं। वह नरेंद्र मोदी जी का विरोध भी उनसे अनुमति लेकर करते हैं। देश की जनता इन पर भरोसा नहीं कर सकती। यदि यह सब लोग मिलकर किसी तरह नरेंद्र मोदी को चुनाव में हरा भी दिए तब भी पैसे की ताकत से तिकड़म करके नरेंद्र मोदी अपनी सरकार बना लेंगे। कुर्सी और पैसे के लालची चरित्रहीन नेता उनका सहयोग निश्चित रूप से करेंगे। फिर भी यदि प्रधानमंत्री की रेस में दौड़ रहे लोग मिलकर भानुमति के कुनबे की सरकार बना लिए तो वह सरकार 5 साल नहीं चल पाएगी। स्वार्थ के टकराव में सरकार बीच में गिर जाएगी। चुनाव होगा भाजपा दोबारा सरकार बना लेगी। फिर भाजपा को एक नया मुद्दा मिल जाएगा। यह कि "देश में राजनीतिक स्थायित्व के लिए केवल भाजपा को वोट दो"। विपक्ष की सरकार इसलिए नहीं चल पाएगी। क्योंकि विपक्ष वैकल्पिक राजनीति के किसी कार्यक्रम, राष्ट्र निर्माण के किसी वैकल्पिक योजना, किसी नीति, सिद्धांत, गठबंधन के लिखित संविधान, लिखित आचार संहिता पर एकजुट नहीं हो रहा है।
जबकि श्री विश्वात्मा के पास यह सब कुछ है। शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक वोटरशिप अधिकार और दक्षिण एशिया यूनियन जैसे काम न तो नरेंद्र मोदी जी को पसंद हैं और न तो उनको हटाने की कोशिश कर रहे विपक्षी नेताओं को। भाजपा से प्रधानमंत्री का चेहरा नरेंद्र मोदी होंगे यह बात अडानी अपने पैसे की और मीडिया की ताकत से तय करेंगे। मोदी के विरोध की रस्म निभा रहे विपक्षी नेताओं में से प्रधानमंत्री का चेहरा कौन होगा यह केवल 8-10 लोग तय करेंगे। विपक्ष के प्रधानमंत्री का चेहरा तय करने में देश की आम जनता, बुद्धिजीवियों, उद्योगपतियों, व्यापारियों, पत्रकारों, किसानों और मजदूरों की कोई भूमिका नहीं होगी। यानी नरेंद्र मोदी कुंआ है तो विपक्ष का गिरोह खाईं है। देश की जनता के लिए कुंआ भी खतरनाक है और खाईं भी खतरनाक है। देश को शांति और समृद्धि के रास्ते पर ले जाने का जो खाका श्री विश्वात्मा ने अपनी 25 साल की तपस्या से तैयार किया है, उसको रोकने के लिए नरेंद्र मोदी और लगभग सभी विपक्षी नेता कमर कसे हुए हैं। इसलिए अब देश को सही रास्ते पर ले जाने के लिए विश्वात्मा की मदद केवल देश के वोटर ही कर सकते हैं। आप से अपील है कि वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल के संस्थापक और नीति निर्देशक श्री विश्वात्मा के विचारों के बारे में जानने के लिए गूगल सर्च का और यूट्यूब का इस्तेमाल करें और चुनावों में सत्य का साथ दें.
हम चाहते हैं कि 2024 में मोदी के वापस आने के खतरे से लोगों को आगाह किया जाये. लोगों को यह समझाया जाये कि सन 2024 में भारत को एक ऐसी सरकार चाहिए जो नीचे दिए गए 10 कामों के लिए संकल्पित हो। यह सरकार लेन का काम करने के लिए राजनीतिक विचारक, सामाजिक संगठन, किसान और मजदूर संगठन और राजनीतिक पार्टियाँ मिलकर एक गठबंधन बनायें. सहमति बने तो इस गठबंधन का नाम रखा जाये - "वोटर्स मोर्चा" (Voters Front). मोर्चे के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए हम चाहते हैं कि पहले चरण में छोटे व मझोले सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के प्रमुख लोग एक मंच पर एकजुट हों। दूसरे चरण में देशभर के यथासंभव सभी भाजपा विरोधी पार्टियों के प्रमुखों को एकजुट करने के लिए काम किया जाए। इस मोर्चे का स्वरूप परिसंघीय हो। यह मोर्चा परंपरागत तरीके से गिने-चुने लोगों द्वारा स्टीयरिंग कमिटी के विवेक पर न चले. अपितु लिखित संविधान पर चले। जिससे गठबंधन कारपोरेट संचालित मीडिया और उसके किसी कठपुतली चेहरे द्वारा संचालित और ब्लैकमेल न हो सके। यदि इसके एक नेतृत्व को मार दिया जाये तो यह गठबंधन अपने संविधान के प्रावधानों से दूसरा नेतृत्व पैदा कर दे. यह गठबंधन अपने नियमों, आदर्शों और संवैधानिक प्रक्रिया द्वारा निकले नेतृत्व, कार्यसमिति और अपने विधायी निकाय द्वारा संचालित हो। इस गठबंधन की शाखाएं प्रदेश, मंडल, जिला, और ब्लाक स्तर पर भी हों. जिससे गथाबंदाहं केवा ऊपर के नेताओं के बीच ही नहीं जमीनी स्तर पर भी हो और परिणाम स्वरुप टिकाऊ हो.
इस गठबंधन में राजनीतिक दलों के प्रमुखों के साथ-साथ दलीय राजनीति से दूर रहकर काम करने वाले सामाजिक संगठनों के प्रमुखों को, देश के विचारकों, बुद्धिजीवियों, उद्योगपतियों, व्यापारियों, पत्रकारों, किसानों और मजदूरों को भी जगह दिया जाए। उनको निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करने के अधिकार भी दिए जाएं। गठबंधन की कार्य समिति को औपचारिक रूप से बनाने से पहले और गठबंधन के नामकरण से पहले इस गठबंधन का संविधान बनाने के लिए संविधान सभा का गठन किया जाए।
संविधान सभा को गठबंधन का ऐसा संविधान बनाना चाहिए जिसमें आपसी अंतर विरोधों के बावजूद भाजपा विरोधी सभी राजनीतिक दलों को एकजुट करने की शक्ति हो। संविधान निर्माण का काम
"कॉमन मिनिमम प्रोग्राम" की बजाय "कॉमन मैक्सिमम प्रोग्राम" की नीति पर काम करे; जिससे गठबंधन केवल सत्ता परिवर्तन के लिए न बने अपितु अधिकतम कार्यक्रमों और अधिकतम संगठनों को जोड़ना संभव हो सके और जिससे एक समावेशी मंच के संविधान का निर्माण संभव हो सके. इस संविधान में सन 2024 के आम चुनावों के लिए और आगे आने वाले अन्य चुनावों के लिए भी भाजपा विरोधी सर्वदलीय चेहरा पैदा करने की व्यवस्थागत प्रक्रिया हो। गठबंधन का सक्षम संविधान बनाना और विपक्ष के आपसी अंतर्विरोधों का समाधान निकालना बौद्धिक रूप से शीर्षस्थ लोगों का काम है. ये लोग सक्षम संविधान बना कर भाजपा विरोधी सरकार बनाने में अपनी उपयोगिता सिद्ध कर सकते हैं. वह किंग मेकर की भूमिका में देश के बड़े राजनीतिक दलों द्वारा भी स्वीकार किए जा सकते हैं। यहां तक कि यदि जाने पहचाने चेहरों के बीच आपसी सहमति नहीं बनती तो वह प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में भी स्वीकार हो सकते हैं।
गठबंधन के संविधान का एक ड्राफ्ट श्री विश्वात्मा (भरत गांधी) ने और उनके विद्वान साथियों ने पहले से तैयार भी कर रखा है। हम उसमें से उपयोगी प्रावधानों का लाभ उठा सकते हैं। इस संविधान सभा में पहले चरण में सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए। दूसरे चरण में कांग्रेस सहित भाजपा विरोधी यथासंभव सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रमुखों को शामिल किया जाए। संविधान सभा अपनी सामूहिक बुद्धिमत्ता द्वारा भाजपा विरोधी राजनीतिक दलों में ऐसा आकर्षण पैदा करें, जिससे सभी पार्टियां इस गठबंधन के संविधान के अनुसार अपेक्षित अपनी भूमिका निभाना पसंद करें। संविधान बना लेने के बाद संविधान सभा का नाम बदल कर रख दिया जाये- " गठबंधन की विधायी सभा". यह विधायी सभा गठबंधन की सरकार के नीति निर्देशक सभा के रूप में आगे भी काम करती रहे और गठबंधन के लिए समय समय पर आवश्यक नियम बनाती रहे.
गठबंधन का काम 2024 में देश में एक ऐसी सरकार लाना होगा जो-
(प्रश्न का उत्तर पढने के लिए सम्बंधित प्रश्न पर क्लिक करें. )
उत्तर- विश्वात्मा जी द्वारा खोजा गया गठबंधन का नया फार्मूला और अद्वितीय व्यक्तित्व मोदी के किले को ढहा देंगा।
उत्तर - प्रधानमंत्री बनने के लिए अनुभव तब चाहिए, जब घोटाला करना हो। एक कुंवारे और फकीर आदमी को घोटाले की जरूरत क्या है? जब संविधान के अनुसार इमानदारी से सरकार चलाना हो, तो अनुभव की जरूरत नहीं है। संविधान के ज्ञान की जरूरत है। सरकार न चलाने के कारण ही इनके खिलाफ बोलने के लिए कुछ नहीं है। और इसीलिए इनके चेहरे पर चुनाव जीता जा सकता है। सरकार चलाने का अनुभव तो नेहरू को भी नहीं था।
उत्तर - मोदी विरोधी जाने पहचाने चेहरों ने एलायंस बनाने में बहुत देर कर दी। इसलिए विश्वात्मा जी को कैटलिस्ट और उत्प्रेरक का काम करने के लिए सामने आना पड़ा। मीडिया की खबरों ने उनको इस जिम्मेदारी का एहसास कराया।
उत्तर - गठबंधन का विश्वात्मा द्वारा बनाया हुआ फार्मूला।
उत्तर : गठबंधन के अनोखे फार्मूले की खोज उनको शक्ति देगा और सफलता देगा।
उत्तर : राज्य के जिस ढांचे की खोज किया है, उसको पूरे विश्व में चर्चा चर्चा का विषय बनाना और बचपन में लिए अपने संकल्पों को पूरा करना.
उत्तर : क्राउडफंडिंग के नए फार्मूले द्वारा। वैसे ज्ञान और अनुभव भी पूजी और संसाधन होते हैं.
उत्तर : एमपी एमएलए जिताने वाले और पैसा कमाने वाले ही तो मोदी के चंगुल में फंसे हैं। यह मेरिट नहीं, डिमैरिट है।
उत्तर : पार्टी के 2 करोड़ से अधिक समर्थक और 40 लाख से अधिक मेंबर है। एक- डेढ़ लाख लोगों की रैली कई बार हो चुकी है। सत्यापन के लिए वोटर्स पार्टी का यूट्यूब चैनल देखें। मेंस्ट्रीम मीडिया नहीं दिखाता तो यह उसकी कमी है। हमारी नहीं।
उत्तर : गठबंधन के नए फार्मूले के कारण मानना उनके लिए फायदेमंद है।
उत्तर : वह तो मानने के लिए तैयार हैं। लेकिन विश्वात्मा जी केवल यह चाहते हैं कि चेहरा देश के 8 -10 लोग न चुनें। चेहरे का चुनाव एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया से हो। जिससे मोदी को हटाने वाली सरकार टिकाऊ हो. इस प्रक्रिया में देश के बुद्धिजीवी, पत्रकार, समाजसेवी, उद्योगपति, व्यापारी, किसान और मजदूर नेता भी शामिल हों। श्री विश्वात्मा इसीलिए लिखित संविधान पर एक व्यवस्थित और पारदर्शी गठबंधन बनाने के लिए कह रहे।
उत्तर : क्योंकि जो गठबंधन लिखित संविधान पर आधारित नहीं है। वह गठबंधन संविधान विरोधी है। यदि गठबंधनों के लिखित संविधान की जरूरत नहीं है तो राजनीतिक पार्टियों के लिखित संविधान की जरूरत क्यों है? दोनों का काम सरकार चलाना ही है। देश में पार्टियों का राज सन 1989 से खत्म हो चुका है। अब गठबंधनों का राज चल रहा है। जब गठबंधन अपना को कोई नीति, धर्म, ईमान, गठबंधन में निर्णय लेने की प्रक्रिया ही नहीं बताते, तो जनता गठबंधनों की सरकारों के कामकाज को परखे कैसे? जनता यह कैसे जान पाए कि गठबंधन सही रास्ते पर चल रहे हैं या गलत रास्ते पर? जनता यह कैसे जान पाए कि गठबंधन की सरकार जनता के लिए काम कर रहे हैं या नेताओं के लूटमार सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं? भाजपा एक व्यवस्थित प्रशिक्षित कैडर आधारित राजनीतिक पार्टी है। इसका मुकाबला या तो कोई इसी तरह का प्रशिक्षित कैडर आधारित कोई पार्टी कर पाएगी या फिर कैडर आधारित लिखित संविधान पर आधारित व्यवस्थित गठबंधन कर पाएगा। गठबंधन के नाम पर आठ- दस लोगों का क्लब भाजपा को सत्ता से नहीं हटा सकता। यदि हटा भी दिया तो आने वाली भाजपा विरोधी गठबंधन सरकार टिकाऊ नहीं हो सकती। भाजपा को हटाने वाला गठबंधन एक टिकाऊ सरकार दे पाए, इसीलिए श्री विश्वात्मा भाजपा विरोधी प्रधानमंत्री पद के चेहरों से लिखित संविधान पर आधारित एक व्यवस्थित गठबंधन बनाने की अपील कर रहे हैं।
उत्तर- जब नरेंद्र मोदी जी को हटा कर प्रधानमंत्री के पद पर देश के किसी जाने-माने चेहरे को बैठाने की बाद आती है, तो कुछ लोग इसका विरोध करते हैं। क्योंकि सभी जाने पहचाने चेहरों की कोई न कोई कमी सभी जानते हैं। जब प्रधानमंत्री के पद पर काम करने के लिए किसी अनजान व्यक्ति का नाम लिया जाता है तो ऐसे लोगों को चुप होना पड़ता है। श्री विश्वात्मा के नाम की यही उपयोगिता है।
उत्तर- श्री विश्वात्मा ने अपना नाम कभी भी आगे नहीं बढ़ाया। वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल ने उनका नाम आगे बढ़ाया है। क्योंकि हर पार्टी चाहती है कि उसका नेता देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे। पार्टी ऐसे असली करती है जिससे पार्टी उन कानूनों को बनाने मैं सफल हो सके, जिसके लिए काम कर रही है। इसीलिए पार्टी "मोदी हटाओ, विश्वात्मा लाओ" अभियान चला रही है।
उत्तर- श्री विश्वात्मा जयप्रकाश नारायण जी की तरह काम नहीं कर सकते। जयप्रकाश नारायण जी ने महात्मा गांधी के कामों को अपना काम माना था। श्री विश्वात्मा किसी महापुरुष के नक्शे कदम पर नहीं चलते। राजनीतिक आर्थिक सुधारों पर काम करने के लिए उन्होंने दर्जनों पुस्तकें लिखा है। उन्हें अपना ही काम करने से फुर्सत नहीं है।