वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल
पार्टी की नीतियां
विश्व की सभी नागरिकों की समस्याओं समाधान
विश्व के सभी नागरिकों द्वारा वैश्विक नागरिकों के लिए किया जायेगा
बीपीएल, एपीएल, एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं को जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी
वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल, VPI एकमात्र पार्टी है जो भारत में बीपीएल, एपीएल, अनुसूचित जातियों, जनजातियों, पिछड़ों और महिलाओं को धन-दौलत, संपत्ति, राष्ट्रीय आमदनी, नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी दिलाने के लिए संघर्षरत है।
देश के लोगों को अंतर्राष्ट्रीय अधिकार
अपने देश के लोगों के अंतर्राष्ट्रीय और वैश्विक अधिकारों को दिलाने के लिए और अखंड भारत बनाकर भारत के ऐतिहासिक गौरव को वापस लाने का कार्य कर रही यह एकमात्र पार्टी है।
नेताओं की नहीं, वोटरों की समृद्धि के लिए कार्यरत पार्टी
मशीनों के परिश्रम, प्राकृतिक संसाधनों और कानूनों के अस्तित्व के कारण पैदा हुई राष्ट्रीय आमदनी सभी लोगों में समान रूप से बांटने का कानून बन जाए तो 2020 की कीमतों पर भारत के सभी एपीएल और बीपीएल वोटरों को हर महीना ₹8000 तक मिलने लग जाएंगे। इस हिस्सेदारी को "वोटरशिप" कहा जाता है।
सभी को रोजगार और आमदनी
रोजगार मात्र कुछ लोगों को नहीं, सभी लोगों को मिले और सामाजिक व राजनीतिक सुधारों के कार्य करने वालों को सरकार से वेतन दिलाने के लिए मात्र यही पार्टी कार्यरत है।
खरबपतियों की गुलामी से मुक्त पार्टी
केवल यही पार्टी है जिसने अपना खर्च चलाने का अनोखा तरीका निकाला है। बाकी ज्यादातर "नेता पार्टियां" अपने खर्च के लिए अति धनवान घरानों पर निर्भर हैं और इसलिए उन्हीं के रिमोट कंट्रोल से संचालित भी हैं।
"फूट डालो और शोषण करो" की कुनीति से दूर रहने वाली पार्टी
एक मात्र यही पार्टी है जो नहीं चाहती कि वोटरों की ताकत खंड खंड में तोड़कर अल्पसंख्यक खरबपतियोंं को बहुसंख्यक समाज का शोषण करने व जुल्म करनेे का मौका दिया जाए। इसलिए यही एकमात्र पार्टी है जो लिखित संविधान पर सभी पार्टियों को एकजुुट होकर चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित कर रही है।
अखंड भारत द्वारा सम्पूर्ण दक्षिण एशियाई देशों की यूनियन बनाने के लिए काम करने वाली पार्टी
हिंदुस्तान के विभाजन ने यह गलतफहमी पैदा कर दी कि हिंदू मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते। इस गलतफहमी ने भारत के ऐतिहासिक गौरव को भारत के लोगों से छीन लिया। इस गलतफहमी के कारण भारत में मुसलमानों की मौजूदगी कुछ लोगों को खलने लगी। इसी एक गलतफहमी ने भारत को बार-बार हिंदू-मुस्लिम दंगों में झोंका, सीमा पार आतंकवाद में झोंका, भारत-पाकिस्तान को शीत युद्ध में झोंका, युद्ध के कारण देश के मध्यम वर्ग और गरीबों का पैसा सेना पर खर्च किया जाए जाने लगा। अधिक जानें ....