प्रेस विज्ञप्ति
दिनांक :
25/03/2021
कथित 'राष्ट्रवादी' पार्टियाँ झूठे वादे करके 'देश' बेचने में लगी हैं - बबिता शर्मा गोयल
गुवाहाटी, 25 मार्च- अपने निजी स्वार्थों के चलते नेता झूठे वादे करके सत्ता हासिल कर नेता पहले पांच वर्षों तक मलाई खाते हैं, इसके बाद खरबपतियों को फायदा पहुंचाकर अपना और अपनी 7 पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित कर लेते हैं. पिछले 70 सालों से देश में यही हो रहा है और वोटर अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहा है. लेकिन वोटर अब जागरूक हो रहा है तथा कथित राष्ट्रवादी पार्टियों के चंगुल से छूटकर 21वीं सदी के विचारों वाले नेतृत्व को परखना चाहता है. इस चुनाव में वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल वोटरों को नया विकल्प चुनने का अवसर दे रही है. ये बातें गुवाहाटी प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल की अखिल भारतीय समिति की अध्यक्षा श्रीमती बबिता गोयल शर्मा ने कहीं. श्रीमती गोयल ने कहा कि नेता सत्ता हासिल करने के लिए तमाम तरह के झूठे वादे करते हैं. जैसे २०१९ में किया गया हर साल 2 करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा. इस तरह के वादे आधारहीन होते हैं, लेकिन वोटरों के पास उन वादों पर विश्वास करने के अलावा कोई उपाय नहीं होता. उन्होंने कहा कि जब सार्वजनिक क्षेत्र की सभी कम्पनियों, रेलवे, हवाई जहाज़, बैंकों और कोयला भंडारों का निजीकरण किया जा रहा है; कृषि क्षेत्र, जो करोड़ों लोगों करोड़ों लोगों को रोजगार देता है उसका भी निजीकरण किया जा रहा है; ऐसे में पार्टियाँ यदि रोजगार देने का वादा करती हैं, तो यह जनता के साथ सरासर छल है. यह भारत के युवाओं को उद्योगपतियों और प्रतिष्ठानों में बंधुआ मजदूर बनाने की एक चाल है. श्रीमती बबिता शर्मा गोयल ने कहा कि एक पार्टी चाय बागान के कामगारों से वायदा कर रही है कि उनकी मजदूरी 167 रुपये से बढ़ाकर 217 रुपये कर दी जाएगी और दूसरी पार्टी द्वारा इसे बढ़ाकर 365 रुपये करने का वादा कर रही है. इस तरह की घोषणाएँ करके भोले-भले चाय बागान श्रमिकों को खुश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि चाय बागानों के श्रमिकों की मजदूरी बढाकर 217 रुपये या 365 रुपये किया जाना एक बेहतरीन उपलब्धि है और सराहना योग्य कदम हैं , तो जनता के कथित सेवक और चौकीदार ३०० दैनिक मजदूरी क्यों नहीं लेते. क्या नेता 'अधिक योग्य' और 'उच्च वर्ग' से सम्बंधित हैं और श्रमिक 'निम्न वर्ग' से जो उनकी जीवन शैली और भत्तों और तनख्वाह में जमीन आसमान का अंतर होना चाहिए? क्या असम के शोषित, पीड़ित और गरीब लोग अच्छा जीवन जीने के लायक नहीं हैं? क्या नेताओं को ही बड़े और स्मार्ट शहरों में रहने, शानदार जीवन जीने, हवाई जहाज़, AC गाड़ियों से चलने और बहुमंजिला मकानों में रहने का अधिकार है, मजदूरों को नहीं? श्रीमती गोयल ने कहा कि पार्टियाँ असम के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों सीटों पर में चाय बागान श्रमिकों के बच्चों के लिए 10% आरक्षण का वादा कर रहे हैं । उन्होंने सवाल किया कि आज तक सत्ता में बैठे विभिन्न दलों ने हर जिले में कम से कम चार अच्छे स्कूल, एक अच्छा कॉलेज, एक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की व्यवस्था क्यों नहीं की है ताकि चाय बागान के श्रमिकों के बच्चे, चार क्षेत्र के बच्चे, गांवों में रहने वाले बच्चों के बच्चे, समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चे पढ़ लिखकर तरक्की कर सकें? लेकिन अब वोटर समझने लगे हैं कि अब वे विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा किए गए झूठे वादों के जाल में नहीं फसेंगे, जो केवल नेताराज को मजबूत करने में रूचि रखते हैं, वोटरराज को नहीं. असम का वोटर अब नए विचारों वाले नेतृत्व को परखना चाहता है. इस अवसर पर श्रीमति बबिता शर्मा गोयल ने अखिल भारतीय समिति के सचिव के पद पर श्री रंजीत शर्मा की नियुक्ति की घोषणा की. प्रेस वार्ता में श्री शिव नारायण शर्मा, क्रांतिवीर सोनिका, श्री नवीन कुमार, वीपीआई अखिल भारतीय समिति के मीडिया प्रभारी श्री सूरज कुमार गोयल सहित अन्य कार्यकर्ता उपसस्थित रहे.