वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल
देश में सत्ताधारी पार्टी और नरेन्द्र मोदी को लेकर देश की जनता में एक नकारात्मक लहर उठ रही है. ऐसे में जनता एक ऐसा विकल्प तलाश रही है, जो भाजपा को सत्ता से हटा सके और टिकाऊ भी हो. ऐसे में अब सबकी नज़र श्री विश्वात्मा की तरफ मुड़ रही है. मीडिया में भी इस बारे में सुगबुगाहट शुरू हो गयी है.
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उत्तर- विश्वात्मा जी द्वारा खोजा गया गठबंधन का नया फार्मूला और अद्वितीय व्यक्तित्व मोदी के किले को ढहा देंगा।
उत्तर - प्रधानमंत्री बनने के लिए अनुभव तब चाहिए, जब घोटाला करना हो। एक कुंवारे और फकीर आदमी को घोटाले की जरूरत क्या है? जब संविधान के अनुसार इमानदारी से सरकार चलाना हो, तो अनुभव की जरूरत नहीं है। संविधान के ज्ञान की जरूरत है। सरकार न चलाने के कारण ही इनके खिलाफ बोलने के लिए कुछ नहीं है। और इसीलिए इनके चेहरे पर चुनाव जीता जा सकता है। सरकार चलाने का अनुभव तो नेहरू को भी नहीं था।
उत्तर - मोदी विरोधी जाने पहचाने चेहरों ने एलायंस बनाने में बहुत देर कर दी। इसलिए विश्वात्मा जी को कैटलिस्ट और उत्प्रेरक का काम करने के लिए सामने आना पड़ा। मीडिया की खबरों ने उनको इस जिम्मेदारी का एहसास कराया।
उत्तर - गठबंधन का विश्वात्मा द्वारा बनाया हुआ फार्मूला।
उत्तर : गठबंधन के अनोखे फार्मूले की खोज उनको शक्ति देगा और सफलता देगा।
उत्तर : राज्य के जिस ढांचे की खोज किया है, उसको पूरे विश्व में चर्चा चर्चा का विषय बनाना और बचपन में लिए अपने संकल्पों को पूरा करना.
उत्तर : क्राउडफंडिंग के नए फार्मूले द्वारा। वैसे ज्ञान और अनुभव भी पूजी और संसाधन होते हैं.
उत्तर : एमपी एमएलए जिताने वाले और पैसा कमाने वाले ही तो मोदी के चंगुल में फंसे हैं। यह मेरिट नहीं, डिमैरिट है।
उत्तर : पार्टी के 2 करोड़ से अधिक समर्थक और 40 लाख से अधिक मेंबर है। एक- डेढ़ लाख लोगों की रैली कई बार हो चुकी है। सत्यापन के लिए वोटर्स पार्टी का यूट्यूब चैनल देखें। मेंस्ट्रीम मीडिया नहीं दिखाता तो यह उसकी कमी है। हमारी नहीं।
उत्तर : गठबंधन के नए फार्मूले के कारण मानना उनके लिए फायदेमंद है।
उत्तर : वह तो मानने के लिए तैयार हैं। लेकिन विश्वात्मा जी केवल यह चाहते हैं कि चेहरा देश के 8 -10 लोग न चुनें। चेहरे का चुनाव एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया से हो। जिससे मोदी को हटाने वाली सरकार टिकाऊ हो. इस प्रक्रिया में देश के बुद्धिजीवी, पत्रकार, समाजसेवी, उद्योगपति, व्यापारी, किसान और मजदूर नेता भी शामिल हों। श्री विश्वात्मा इसीलिए लिखित संविधान पर एक व्यवस्थित और पारदर्शी गठबंधन बनाने के लिए कह रहे।
उत्तर : क्योंकि जो गठबंधन लिखित संविधान पर आधारित नहीं है। वह गठबंधन संविधान विरोधी है। यदि गठबंधनों के लिखित संविधान की जरूरत नहीं है तो राजनीतिक पार्टियों के लिखित संविधान की जरूरत क्यों है? दोनों का काम सरकार चलाना ही है। देश में पार्टियों का राज सन 1989 से खत्म हो चुका है। अब गठबंधनों का राज चल रहा है। जब गठबंधन अपना को कोई नीति, धर्म, ईमान, गठबंधन में निर्णय लेने की प्रक्रिया ही नहीं बताते, तो जनता गठबंधनों की सरकारों के कामकाज को परखे कैसे? जनता यह कैसे जान पाए कि गठबंधन सही रास्ते पर चल रहे हैं या गलत रास्ते पर? जनता यह कैसे जान पाए कि गठबंधन की सरकार जनता के लिए काम कर रहे हैं या नेताओं के लूटमार सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं? भाजपा एक व्यवस्थित प्रशिक्षित कैडर आधारित राजनीतिक पार्टी है। इसका मुकाबला या तो कोई इसी तरह का प्रशिक्षित कैडर आधारित कोई पार्टी कर पाएगी या फिर कैडर आधारित लिखित संविधान पर आधारित व्यवस्थित गठबंधन कर पाएगा। गठबंधन के नाम पर आठ- दस लोगों का क्लब भाजपा को सत्ता से नहीं हटा सकता। यदि हटा भी दिया तो आने वाली भाजपा विरोधी गठबंधन सरकार टिकाऊ नहीं हो सकती। भाजपा को हटाने वाला गठबंधन एक टिकाऊ सरकार दे पाए, इसीलिए श्री विश्वात्मा भाजपा विरोधी प्रधानमंत्री पद के चेहरों से लिखित संविधान पर आधारित एक व्यवस्थित गठबंधन बनाने की अपील कर रहे हैं।
उत्तर- जब नरेंद्र मोदी जी को हटा कर प्रधानमंत्री के पद पर देश के किसी जाने-माने चेहरे को बैठाने की बाद आती है, तो कुछ लोग इसका विरोध करते हैं। क्योंकि सभी जाने पहचाने चेहरों की कोई न कोई कमी सभी जानते हैं। जब प्रधानमंत्री के पद पर काम करने के लिए किसी अनजान व्यक्ति का नाम लिया जाता है तो ऐसे लोगों को चुप होना पड़ता है। श्री विश्वात्मा के नाम की यही उपयोगिता है।
उत्तर- श्री विश्वात्मा ने अपना नाम कभी भी आगे नहीं बढ़ाया। वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल ने उनका नाम आगे बढ़ाया है। क्योंकि हर पार्टी चाहती है कि उसका नेता देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे। पार्टी ऐसे असली करती है जिससे पार्टी उन कानूनों को बनाने मैं सफल हो सके, जिसके लिए काम कर रही है। इसीलिए पार्टी "मोदी हटाओ, विश्वात्मा लाओ" अभियान चला रही है।
उत्तर- श्री विश्वात्मा जयप्रकाश नारायण जी की तरह काम नहीं कर सकते। जयप्रकाश नारायण जी ने महात्मा गांधी के कामों को अपना काम माना था। श्री विश्वात्मा किसी महापुरुष के नक्शे कदम पर नहीं चलते। राजनीतिक आर्थिक सुधारों पर काम करने के लिए उन्होंने दर्जनों पुस्तकें लिखा है। उन्हें अपना ही काम करने से फुर्सत नहीं है।
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