सामाजिक काम करने वालों सरकार दे वेतन – विश्वात्मा

लखनऊ 25 जून 2019। वर्तमान समय में मशीनें अर्थव्यवस्था को अपने शिकंजे में कसती जा रही हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि ना तो सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बचे हैं और ना ही निजी क्षेत्र में। प्रदेश और देश की सरकार मिलकर केवल 1 करोड़ तीस लाख लोगों को रोजगार देती हैं और संगठित क्षेत्र की कंपनियां कुल मिलाकर 80 लाख लोगों को रोजगार देती हैं यानी कुल 2 करोड़ 10 लाख लोग संगठित क्षेत्र में रोजगार प्राप्त कर रहे हैं जबकि देश में काम करने के लिए तैयार जनसंख्या 49 करोड़ 65 लाख है। ऐसी स्थिति में न तो सरकारी क्षेत्र में सबको रोजगार की गुंजाइश है और ना ही निजी क्षेत्र में सब को रोजगार मिल सकता है।

लखनऊ में राजनीति सुधारको की ट्रेनिंग मे आये प्रतिभागियों संबोधित करते हुए वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल के नीति निर्देशक विश्वात्मा भरत गांधी ने कहा कि इस विषम परिस्थिति में आवश्यक हो गया है कि देश के लोगों को समाज सेवा के क्षेत्र में नियोजित किया जाए, उनको काम दिया जाए और निशुल्क उस काम के बदले में  उनको भुगतान किया जाए। उन्होंने कहा कि समाज सेवा को अब रोजगार देने वाला क्षेत्र बनाना चाहिए। जिस प्रकार कृषि क्षेत्र, उद्योग क्षेत्र और सेवा क्षेत्र रोजगार सृजित करते हैं, उसी रोजगार के लिए एक नये क्षेत्र को मान्यता दी जानी चाहिए जिसको समाज सेवा का क्षेत्र कहा जाए। समाज सेवा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को विधिवत भुगतान किया जाए। इसीलिए वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल अपने सभी कार्यकर्ताओं को पार्टी में काम करने के बदले उनके काम का मूल्यांकन मुद्रा देती है इसको आरडीआर कहा जाता है। उन्होंने कहा कि आरडीआर चलाने वाली एजेंसी सभी संगठनों में काम करने वाले लोगों के काम का मूल्यांकन करने को तैयार है और इस एजेंसी द्वारा कार्य के मूल्यांकन के तौर पर जारी आरडीआर के बदले में सरकार को भुगतान करना चाहिए।

विश्वात्मा भरत गांधी ने कहा कि इस व्यवस्था से राजनीतिक पार्टियों की खरबपतियों पर से निर्भरता समाप्त हो जाएगी और लोकतंत्र उनके चंगुल से रिहा हो जाएगा। वह ट्रेनिंग के समापन समारोह में बोल रहे थे। इस ट्रेनिंग में उत्तर प्रदेश और बिहार के कई जनपदों के लोगों ने भाग लिया। ट्रेनिंग का संयोजन पार्टी के लखनऊ के जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र गुप्ता ने किया। कार्यक्रम का आयोजन वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल की उत्तर प्रदेश की कमेटी और भरत गांधी फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से किया।

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