दिसपुर 26 जुलाई। वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल ने असम की विकराल बाढ़ की समस्या व एनआरसी के सवाल को लेकर विधानसभा के सामने दिसपुर में आज विशाल प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि इन दोनों ही समस्याओं का स्थाई समाधान निकाला जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा है।
इस ज्ञापन में कहा गया है कि केंद्र सरकार असम के साथ सौतेला बर्ताव कर रही है। जहां एक तरफ गुजरात और मुंबई के लिए बुलेट ट्रेन चलाने के नाम पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए बर्बाद किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ असम की जनता को बाढ़ में मरने के लिए छोड़ दिया गया है। ज्ञापन में मांग किया गया है कि केंद्र सरकार असम की बाढ़ की समस्या को राष्ट्रीय समस्या और राष्ट्रीय आपदा घोषित करें और पानी में डूब कर मर रहे लोगों को बचाने के लिए तत्काल प्रभावशाली कदम उठाएं।
एनआरसी के बारे में ज्ञापन में कहा गया है की जिन 40 लाख लोगों का नाम एनआरसी रजिस्टर में दर्ज नहीं किया गया, उनको डिटेंशन कैंप में न रखा जाए। ज्ञापन में कहा गया है कि 4000000 लोगों को डिटेंशन कैंप में रखकर भोजन खिलाने के लिए प्रतिदिन 40 करोड़, प्रति महीने 1200 करोड़ और प्रतिवर्ष कम से कम 14, 400 करोड़ रूपए की जरूरत है। यह धनराशि कौन देगा, केंद्र सरकार और राज्य सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए हैं।
ज्ञापन में मांग की गई है कि यूरोपियन यूनियन की तर्ज पर दक्षिण एशियाई यूनियन बनाकर जिन लोगों का नाम एनआरसी में दर्ज नहीं किया जा सका है उनको दक्षिण एशियाई नागरिकता तत्काल दे दिया जाए किंतु उनको डिटेंशन कैंप में रखकर भोजन खिलाया जाए। दक्षिण एशियाई वतन की सरकार के गठन के लिए जरूरी अंतरराष्ट्रीय संधि के लिए केंद्र सरकार तत्काल अलग से एक मंत्रालय बनाए। ज्ञापन में मांग की गई है कि जब तक दक्षिण एशियाई नागरिकता के लिए संधि नहीं होती तब तक किसी को गिरफ्तार करके डिटेंशन कैंपों में ना डाला जाए और गिरफ्तार किये गये लोगों का खर्च उठाने के लिए असम की जनता को मजबूर न किया जाए। इस खर्च का इंतजाम करने के लिए महंगाई न बढ़ाया जाए।
हर साल जुलाई और अगस्त के महीने में आने वाली बाढ़ की समस्या के स्थाई समाधान के लिए ज्ञापन में मांग किया गया है कि किसान सम्मान निधि की रकम ₹ 500 से बढ़ाकर ₹6000 तत्काल कर दिया जाए। क्योंकि वह वोटरशिप की रकम ₹ 500 नहीं, ₹ 6000 है। ज्ञापन में कहा गया है कि यदि सरकार वोटरशिप कानून बना देती है तो मशीनों के परिश्रम और प्राकृतिक संसाधनों से हर महीने पैदा हो रहे खरबों रुपया में असम के लोगों को भी हिस्सा मिल जाएगा। इस हिस्से के रूप में असम के हर वोटर के पास हर महीने ₹6000 करोड़ रुपए आने लगेगा। असम में बाढ़ की समस्या का स्थाई समाधान करने के लिए जितने धन की जरूरत है वह रकम वोटरशिप की रकम के केवल 2 महीने के चंदे से मिल जाएगी। ज्ञापन में मांग किया गया है कि प्रदेश सरकार तत्काल विधानसभा से वोटरशिप कानून बनाए जाने का प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार को भेजें, अन्यथा पार्टी पूरे प्रदेश में व्यापक आंदोलन चलाने के लिए विवश होगी।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ललित पेगू ने कहा के बरदाश्त की कोई सीमा होती है और असम की जनता अब इससे ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता अब शांत नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि यह धरना कल भी जारी रहेगा और इसके बाद पार्टी सरकार के प्रतिक्रिया का इंतजार करेंगे। यदि सरकार पार्टी की मांगों पर गंभीरता से कोई कदम नहीं उठाती तो विधानसभा के आगामी सत्र के दौरान प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा। धरने में कोकराझार, चिरांग, धुबरी, बरपेटा, ग्लवालपाड़ा, गुवाहाटी, कामरूप, दरंग, बक्सा, उदालगुरी, सोनितपुर, लखीमपुर, धेमाजी, मोरीगांव और नौगांव के पार्टी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। वीपीआई कार्यकर्ताओं ने पूरे दिन भर नारेबाजी की प्ले कार्ड का प्रदर्शन किया। आर्थिक आजादी आंदोलन के तरनी बासुमतारी ने कहा कि असम के सांसदों और विधायकों को भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय कार्यालय का बंधुआ मजदूर बन गये हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के सांसद और विधायक असम की चिंता करने की बजाए अपने करियर की चिंता करने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के जुल्म का साथ दे रहे हैं जिससे उनको अगली बार फिर से टिकट मिल जाए और वह सांसद और विधायक बने रहें, चाहे असम के लोग पानी में डूब कर मर जाएं।